नाबालिग राखी का संन्यास छह दिन में वापस, दीक्षा दिलाने वाले महंत जूना अखाड़े से निष्कासित, रमता पंच का फैसला

आगरा, 11 जनवरी। जिले के डौकी क्षेत्र के निवासी पेठा व्यापारी की नाबालिग पुत्री का प्रयागराज महाकुंभ में लिया गया संन्यास छह दिन में ही वापस हो गया। साधु-संतों के अखाड़ों के रमता पंच ने बालिका को दीक्षा दिलाने वाले महंत कौशल गिरि को सात साल के लिए जूना अखाड़े से निष्कासित कर दिया। साध्वी बनी 13 वर्षीय राखी को कम उम्र के कारण जूना अखाड़े ने घर वापस भेज दिया। वे परिजनों के साथ मथुरा के गोकुल आ गईं। 
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक हरि गिरि महाराज ने कहा, यह अखाड़े की परंपरा नहीं रही है कि किसी नाबालिग को संन्यासी बना दिया जाए। इस मुद्दे पर बैठक कर सर्वसम्मति से फैसला लिया गया। 
नाबालिग बालिका राखी विगत पांच दिसंबर को परिवार के साथ महाकुंभ पहुंची थी। यहां उसने संन्यास लेने का फैसला किया और परिवार के साथ घर जाने से मना कर दिया। माता-पिता ने भी उसे जूना अखाड़े के महंत कौशलगिरि को दान कर दिया। इसके बाद राखी को पहले संगम स्नान कराया गया। संन्यास के बाद उसका नाम बदल कर नया नाम गौरी गिरि महारानी रखा गया। इसके बाद से राखी सुर्खियों में आ गई। सोशल मीडिया पर नाबालिग को साध्वी बनाए जाने के फैसले का विरोध होने लगा।
महामंडलेश्वर महंत कौशल गिरि ने राखी के पिंडदान कराने की भी तैयारी कर ली थी, 19 जनवरी को नाबालिग का पिंडदान होना था, लेकिन इससे पहले अखाड़े की सभा ने यह कार्रवाई कर दी। संन्यासी बनने के दौरान खुद का पिंडदान करने की परंपरा है।
राखी के पिता संदीप उर्फ दिनेश सिंह धाकरे पेशे से पेठा व्यापारी हैं। उनका परिवार श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महंत कौशल गिरि से कई सालों से जुड़ा है। परिवार में पत्नी रीमा सिंह, बेटी राखी सिंह (13) और छोटी बेटी निक्की (7) हैं। दोनों बेटियां आगरा के कांवेंट स्कूल स्प्रिंगफील्ड इंटर कालेज में पढ़ती है। राखी नौवीं में और निक्की दूसरी कक्षा में है। 
परिवार कौशल गिरी महाराज से वर्षों से जुड़ा हुआ है। इनका बिलासपुर, हरियाणा में आश्रम है। उनके गांव टरकापुर के काली मां मंदिर पर तीन साल से लगातार कथा हो रही है। तभी से राखी का झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया था। स्कूल से आकर खाना पीना खाकर अपने पूजा पाठ में लग जाती थी। 
राखी के पिता संदीप उर्फ दिनेश ने बताया कि पुत्री राखी ने कक्षा एक से तीन तक कानपुर में अपने मामा के यहां पढ़ाई की थी। कक्षा 4 से 7 तक महादेव इंटर कॉलेज डौकी में पढ़ाई करने के बाद कक्षा 7 से 9 तक कुंडौल के स्प्रिंगफील्ड इंटर कॉलेज में पढ़ाई की। राखी शुरू से ही भक्ति में लीन रहने लगी। बहुत कम बोलती है।
संन्यास लेने के दौरान राखी की मां रीमा सिंह ने मीडिया से कहा था कि उनकी बेटी पढ़ाई में होशियार है। वह बचपन से ही भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना संजोए हुए थी, लेकिन कुंभ में आने के बाद उसका विचार परिवर्तित हो गया। हम कौशल गिरि की शरण में पुण्य लाभ के लिए आए थे। 
सभी लोग प्रयागराज 20 दिसंबर को गए थे। अचानक से बेटी राखी के मन में भक्ति जागृत हुई और स्वेच्छा से महाकुंभ जूना अखाड़े में दीक्षा लेकर शामिल हो गई। परिवार के लोगों ने काफी समझाया, लेकिन उसने मना कर दिया। 
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