फिल्में, कविता समाज की परछाई, हिट या फ्लॉप क्या करना है, यह तय करना लोगों की जिम्मेदारी || फिल्म अभिनेता अन्नू कपूर आगरा के पहले जीडी गोयनका अवॉर्ड से सम्मानित
आगरा, 11 जनवरी। जाने-माने फिल्म अभिनेता अन्नू कपूर ने शनिवार को यहां कहा कि फिल्में, कविता समाज की परछाई हैं। समाज में पहले भी मी-टू (MEE TOO) था। समाज में जो चल रहा होता है, वो किसी न किसी रूप में फिल्मों में आ जाता है। फिल्म बनाने वाले सौदागर हैं। उन्हें पता है कि समाज को क्या चाहिए। वो समाज से मुद्दे उठाकर कहानी लिखते हैं और फिल्म बनाते हैं।
अन्नू कपूर शहर के जीडी गोयनका स्कूल परिसर में शुरू हुए द्विदिवसीय ताज साहित्य उत्सव को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्हें पहले जीडी गोयनका अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। अन्नू कपूर ने कहा कि हिट क्या होता है, उसकी जिम्मेदारी समाज की है। लोगों की है। हिट क्या करना है, फ्लॉप क्या करना है, यह तय करना लोगों की जिम्मेदारी है।
अन्नू कपूर ने नजीर अकबराबादी की आगरा को लेकर लिखी गईं पंक्तियों से सत्र की शुरुआत की। उन्होंने ग्लोबल वॉर्मिंग पर भी चिंता व्यक्त की। उसके बाद डॉ. हरिओम ने पंक्तियां सुनाई - "ताजा यह तन्हाई है, ऐसे लम्हों में इस दिल को याद तुम्हारी आई है।"
कपूर ने कहा कि अगर डॉ. हरिओम जैसे गीतकार मुंबई आ जाएं, तो हमारी फिल्मों का स्तर ऊंचा हो जाएगा। इसके बाद वर्ष 1999 में ताजमहल के पीछे हुए कार्यक्रम हादसे पर भी चर्चा हुई। कई लोग घायल हुए थे। अन्नू कपूर ने उस घटना की जानकारी देते हुए कहा कि मुझ पर आरोप लगे थे। भगदड़ मच गई थी। मुझसे पुलिस अधिकारियों ने कहा कि आप शांत होने के लिए माइक से कहें। मामला शांत हुआ, इसके बाद मैं सिगरेट पीने चला गया। इसकी फोटो वायरल हुई थी। जिसे लेकर मुझे दोषी बनाया गया। लेकिन मेरी गलती नहीं थी।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान और विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राकेश गर्ग थे। उनके साथ मंच पर डॉ. हरिओम, पंकज शर्मा, पूरन डावर, कांता प्रसाद अग्रवाल, संजय अग्रवाल, पुनीत वशिष्ठ, पवन आगरी उपस्थित रहे। शनिवार को पहला सत्र फिल्म, साहित्य और संगीत था। जिसमें मॉडरेटर की भूमिका अनुराग मुस्कान ने निभाई।
जिस दर से उठके आए हैं, वो दर न मिलेगा
गलियों में बादशाही का मंजर न मिलेगा,
दौलत भी कमा लेंगे, शोहरत भी मिलेगी,
हमको पता है कि अब कभी भी घर न मिलेगा।
उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की बीमारी के दौरान लिखा गीत सुनाया-
जब मैं तन्हा हो जाऊंगा, गुमनामी में खो जाऊंगा
दुनिया के बंधन टूटेंगे, जब मेरे मुझसे रूठेंगे
तब मेरे दीवान से चुनकर कोई नज्म सुनाओगी
मुझसे मिलने आओगी क्या, बोलो प्रीत निभाओगी क्या।
ताज साहित्य उत्सव में दोनों दिन कुल 12 सत्र हैं, जिनमें देश के ख्याति प्राप्त साहित्यकार, कवि, हास्य कलाकार, भाग ले रहे हैं।
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