ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने पर छिड़ी रार, अजय दास ने ममता और उनकी आचार्य को किया किन्नर अखाड़े से निष्कासित || आचार्य लक्ष्मी ने कहा- अजय पहले ही चरित्रहीनता में बाहर हो चुके

नई दिल्ली/प्रयागराज, 31 जनवरी। फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाने पर विवाद हो गया है। किन्नर अखाड़े के संस्थापक और आचार्य महामंडलेश्वर के बीच लड़ाई सामने आ गई है। एक ओर स्वयं को अखाड़े का संस्थापक बताते हुए अजय दास ने आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और महामंडलेश्वर बनी गई ममता कुलकर्णी को पद से हटाते हुए अखाड़े से निष्कासित करने का दावा किया तो वहीं आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि अजय दास को चरित्रहीनता के आरोप में वर्ष 2017 में ही अखाड़े से बाहर कर दिया गया है।
गौरतलब है कि किन्नर अखाड़े ने इस बार महाकुम्भ में अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया। जिसका विरोध करते हुए खुद को अखाड़े का संस्थापक बताते हुए अजय दास और महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता की। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, अजय दास ने दावा किया कि वर्ष 2015 में उन्होंने किन्नर समुदाय को जोड़ने के लिए अखाड़े का गठन किया था, जिसमें लोगों को पद दिए। उज्जैन कुम्भ में उन्हीं के नाम पर जमीन मिली थी। इसके बाद उनके साथ राजनीति की गई और धीरे-धीरे उन्हें किनारे कर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अखाड़े पर कब्जा कर लिया और वर्ष 2019 के कुम्भ मेले में जूना अखाड़े के साथ समझौता कर लिया और वो गिरि बन समुदाय में चली गईं। अब उन्होंने ममता कुलकर्णी को अखाड़े का महामंडलेश्वर बना दिया, जिनका नाम अंडरवर्ल्ड से जुड़ा था। उन्हें 12 घंटे में महामंडलेश्वर कैसे बना दिया गया। उनका मुंडन संस्कार क्यों नहीं किया गया। जबकि महामंडलेश्वर बनने के लिए 12 वर्ष भी कम लग जाते हैं। इसे लेकर किन्नर अखाड़ा प्रमुख को उन्होंने अखाड़े से निष्कासित कर दिया। अजय दास ने शुक्रवार को ऐलान किया कि अब नए सिरे से किन्नर अखाड़े का पुनर्गठन होगा। साथ ही जल्द ही नए आचार्य महामंडलेश्वर का ऐलान होगा। 
दूसरी ओर किन्नर अखाड़ा प्रमुख डॉ.लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि अजय दास को वर्ष 2017 में चरित्रहीनता के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था। उनसे हमारा कोई रिश्ता नहीं है। उन्होंने विवाह किया और उनकी एक बेटी भी है, वो संन्यासी नहीं हैं। उन्होंने दावा कि कि किन्नर अखाड़े की संस्थापक वह स्वयं हैं। किन्नर अखाड़ा 2014 में बना। डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अखाड़ा बनाने के बाद वर्ष 2016 के उज्जैन कुम्भ में शिविर भी लगाया। जहां से अखाड़ा चर्चा में आ गया। वर्ष 2019 के कुम्भ में जूना और किन्नर अखाड़े के बीच समझौता हुआ। तब से दोनों अखाड़े एक साथ हैं।
बता दें कि ममता को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद से ही सवाल किए जा रहे थे कि एक स्त्री को इस अखाड़े का महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है। ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में अपना पिंडदान किया था और संन्यास अपना लिया था। इसके बाद भव्य पट्टाभिषेक कार्यक्रम में उन्हें किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था। उनका नया नाम श्री यामाई ममता नंद गिरी रखा गया था। वह सात दिनों तक महाकुंभ में रहीं, लेकिन तबसे ही इसको लेकर विवाद जारी था कि एक स्त्री को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर क्यों बनाया गया।
________________________________



ख़बर शेयर करें :

Post a Comment

0 Comments