महाकुंभ में भगदड़ से 17 लोगों की मौत के बाद हाई अलर्ट, आरएएफ ने संभाला मोर्चा, हालात काबू में, मोदी ने ली योगी से जानकारी

प्रयागराज, 29 जनवरी। महाकुंभ में देर रात मची भगदड़ में करीब सत्रह लोगों की मौत और पचास से अधिक लोगों के घायल होने के बाद प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। प्रयागराज जंक्शन पर रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है। मौनी अमावस्या स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को संगम तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं को गेट संख्या तीन और चार एंट्री कराई जा रही है, वहीं गेट संख्या छह से निकासी हो रही है। यहां करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। रेलवे स्टेशन के बाहर बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा हो गए हैं, जिन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिसकर्मी लगातार माइक से निर्देश दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे की जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ली। मुख्यमंत्री योगी ने दावा किया कि हालात अब पूरी तरह नियंत्रण में हैं।
रेलवे स्टेशन और कुंभ क्षेत्र में सुरक्षाबलों की चौकसी बढ़ा दी गई है। अलग-अलग गेटों पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी तैनात किए गए हैं, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। हादसे के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई है, वे संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
महाकुंभ में भगदड़ के बाद प्रशासन ने तत्काल राहत-बचाव का काम शुरू किया। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। मेले में मची भगदड़ के बाद निरंजनी अखाड़े ने स्नान जुलूस रोक दिया। मौके से सामने आए वीडियो के अनुसार कुछ महिलाओं और बच्चों को भी चोट लगी है। अभी हालात काबू में बताये जाते हैं। 
बताया जाता है कि प्रयागराज के संगम तट पर अमृत स्नान से पहले देर रात करीब दो बजे भगदड़ मच गई। एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक भगदड़ मचते ही लोग दौड़ने लगे। इससे कुछ महिलाएं जमीन पर गिर गईं और लोग उन्हें कुचलते हुए निकल गए। भगदड़ के बीच संगम तट पर कई श्रद्धालु बेहोश हो गये। घायलों में महिलाओं के साथ बच्चे भी शामिल हैं। 
हताहतों को 50 से अधिक एंबुलेंस की मदद से सेंट्रल हॉस्पिटल लाया गया। कई घायलों को मोटरसाइकिल से भी लोगों ने पहुंचाया। हालात को काबू करने के लिए सेना और एनएसजी ने मोर्चा संभाल लिया है। 
भगदड़ के बाद मंजर भयावह था। हर ओर लोगों का सामान, कपड़े, जूते-चप्पल बिखरे हुए थे। जमीन पर घायल लेटे थे और लाशों के पास बिलखते परिजन थे। कुछ अपनों को ढूंढ रहे थे, उनकी भी आंखों में आंसू थे।
कुछ लोग अपनों के शव का हाथ नहीं छोड़ रहे थे, उन्हें डर था कि कहीं बॉडी खो न जाए। रेस्क्यू टीम एक शव को ले जाने लगी तो उसके परिजन ने दौड़ कर हाथ पकड़ लिया।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अमृत स्नान की वजह से ज्यादातर पांटून पुल बंद थे। इसके कारण संगम पर पहुंचने वाली करोड़ों की भीड़ इकट्ठा होती चली गई। जिससे बैरिकेड्स में फंसकर कुछ लोग गिर गए। यह देखकर भगदड़ की की अफवाह फैल गई।
इसके अलावा संगम नोज पर एंट्री और एग्जिट के रास्ते अलग-अलग नहीं थे। लोग जिस रास्ते से आ रहे थे, उसी रास्ते से वापस जा रहे थे। ऐसे में जब भगदड़ मची तो लोगों को भागने का मौका नहीं मिला। वे एक-दूसरे के ऊपर गिरते गए।
हादसे के बाद संगम नोज इलाके में आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई। भीड़ और न बढ़े, इसलिए प्रयागराज से सटे जिलों में श्रद्धालुओं को रोक दिया गया। वहां प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया। आज मौनी अमावस्या का स्नान है, जिसके चलते करीब नौ करोड़ श्रद्धालुओं के शहर में मौजूद होने का अनुमान है। 
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