नियॉन तितली और डमरू हुए फेल, अब लगाए जा रहे त्रिशूल! जब तक आगरा गंदगी से जंग नहीं जीत लेता तब तक कैसा, काहे का स्मार्ट सिटी?
आगरा, 20 जनवरी। शहर की स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर किस प्रकार फिजूलखर्ची की जा रही है, इसका उदाहरण नगर निगम की कार्यशैली से लगाया का सकता है। एक ओर शहर के अधिकांश रास्ते समस्याओं से भरे पड़े हैं। सड़कों के बीच खुले पड़े मैनहोलों और गड्ढों में गिरकर लोगों की जानें तक जा रही हैं। इनकी मरम्मत के नाम पर खानापूरी की जा रही है, तो दूसरी ओर लाखों रुपये खर्च कर स्ट्रीट लाइटों के खंभों पर लगाए गए नियॉन तितली और डमरू के खराब हो चुकी हैं और उनके स्थान पर अब नियॉन त्रिशूल लगाए जाना शुरू कर दिया गया है
ताजमहल और आगरा किले के बीच यमुना किनारा रोड पर स्ट्रीट लाइटों पर इसकी शुरुआत गई है। इन मुगलिया स्मारकों के बीच सड़क पर भगवान शंकर का त्रिशूल दिखाई देगा। हाथीघाट से श्मशान घाट तिराहे के बीच यमुना किनारा रोड पर ये त्रिशूल लगाए जा रहे हैं। स्ट्रीट लाइटों के ऊपर गोल्डन कलर के ये त्रिशूल दूर से ही नजर आ रहे हैं। ट्रायल के रूप में इन्हें यहां लगाया जा रहा है।
पूर्व में शहर की अधिकांश सड़कों पर स्ट्रीट लाइटों के खंबों पर नियॉन तितली लगाई गई थीं। हरीपर्वत से मदिया कटरा, मदिया कटरा से भावना क्लार्क इन, गुरूद्वारा गुरू का ताल फ्लाई ओवर आदि जगहों पर इन्हें लगाया गया था। मगर, कुछ महीने बाद ही ये खराब होने लगी थीं। इस पर नगर निगम के कुछ पार्षदों ने आपत्ति दर्ज करा दी थी।
इसी बीच रखरखाव में अधिकांश नियॉन तितली खराब भी हो गईं। इसके बाद इन्हें खंभों से उतरवा लिया गया। हाथी घाट रोड पर लगाई गईं भगवान शिव के डमरू वाले आकार की नियॉन लाइटें भी खराब हो गईं। अब आगरा नगर निगम स्ट्रीट लाइटों के ऊपर त्रिशूल लगवा रहा है। इनमें लाइट नहीं हैं। मगर, गोल्डन कलर होने के कारण ये दूर से ही चमक रहे हैं।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक चिंतक बृज खंडेलवाल ने जिला प्रशासन से सवाल किया कि जब तक आगरा गंदगी से जंग नहीं जीत लेता तब तक कैसा, और काहे का स्मार्ट सिटी? उन्होंने एक वक्तव्य में कहा कि अपने पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व के लिए यह शहर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। सालाना लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन, बावजूद अपनी वैश्विक पहचान के, आगरा की छवि एक निहायती गंदे शहर के रूप में प्रचलित है।
स्मार्ट सिटी मिशन 2016 में शुरू हुआ था, लेकिन लगभग दस वर्षों में आगरा को इस (कंपनी) पहल से कितना लाभ मिला, इस पर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। स्मार्ट सिटी कंपनी की वेबसाइट से पता लगा कि शहर की मूल धरोहरों को सहेजना, नागरिकों का जीवन स्तर बेहतर करना, बेसिक जन सुविधाओं को अपग्रेड करना, आदि इसके प्रमुख कार्य हैं। फतेहाबाद रोड पर काफी सौंदर्यीकरण हुआ है। चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगे हैं, ज्यादातर बंद ही दिखते हैं। कुछ एक्टिविस्ट्स कहते हैं कि वॉल पेंटिंग्स के माध्यम से गंदगी के घावों को छिपाने की भरपूर कोशिश हुई है। बेहतर होगा कि स्मार्ट सिटी के विधाता पब्लिक को अपनी उपलब्धियां गिनाएं। आगरा शहर अभी तक न स्मार्ट सिटी बना है, न ही हेरिटेज सिटी। बुनियादी समस्याओं से जूझने की रणनीति का खुलासा आज तक नहीं हुआ है। हालांकि, ये भी स्वीकारा जा रहा है कि आगरा नगर निगम ने पिछले डेढ़ साल में शहर की हुलिया बदलने की दमदार पहले की है। उन्होंने कहा कि स्थाई रिजल्ट के लिए नागरिकों, अधिकारियों और हितधारकों को शामिल करते हुए एक बहुआयामी कार्य योजना बनाई जानी चाहिए।
आगरा में एक मजबूत अपशिष्ट निपटान बुनियादी ढांचे का अभाव है। पर्याप्त संख्या में कूड़ेदान नहीं हैं और अनियमित कचरा संग्रह समस्या को बढ़ाता है, जिससे सड़कें और सार्वजनिक स्थान कचरे से अटे पड़े हैं जो बंदरों, कुत्ते, गायों को आकर्षित करते हैं।
एक वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में, आगरा हर साल लाखों टूरिस्टों का स्वागत करता है। ज्यादातर मेहमान नाक मुंह सिकोड़ते हुए दोबारा न लौटने का वायदा करके जाते हैं। कई स्थलों पर पर्यटकों द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट अक्सर अप्रबंधित हो जाता है, जिससे शहर की स्वच्छता संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
सरकारी एजेंसीज चाहे जितना भी इंतेज़ाम कर लें, जब तक नागरिकों को नजरिया और व्यवहार नहीं बदलेगा, गंदगी से निजात पाना नामुमकिन है। निवासियों और देशी पर्यटकों दोनों अक्सर नागरिक जिम्मेदारी की कमी प्रदर्शित करते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फैलाने की आदत स्थिति को और पेचीदा बनाती है।
जरूरत है कि नगर निगम, आगरा को एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ शहर में बदलने के लिए, स्वच्छता और नागरिक जिम्मेदारी के महत्व पर जोर देने के लिए सोशल मीडिया, स्थानीय समाचार पत्रों और सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से शैक्षिक अभियान शुरू करे। निवासियों, स्कूलों और संगठनों से जुड़ी नियमित सफाई गतिविधियों का आयोजन करे। स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और नागरिक जिम्मेदारी पर कार्यशालाएं और सेमिनार मानसिकता और व्यवहार को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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