आप चाहते हैं कि हमें कानून का लाभ मिले, तो कानून का पालन करना सीखना होगा

------ नजरिया------ 
आज डॉ एमपीएस वर्ल्ड स्कूल में नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (मानवाधिकार आयोग) के सचिव द्वारा छात्रों को उनके अधिकार पर सेशन था.. मुझे मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने का अवसर मिला.. आज संविधान दिवस है, देश के संविधान को नमन करता हूँ उससे पहले जीवन के दर्शन जिसके जीवन की हर समस्या का हल है गीता को नमन करता हूँ।
मैंने कभी राइट्स को समझने का प्रयास नहीं किया, आज भी जब सचिव श्री जोगिंदर सिंह जब अधिकारों पर प्रेजेंटेशन दे रहे थे तब भी अपनी सोच में था कतई अधिकारों को समझने का प्रयास नहीं किया। गीता ज्ञान जो हर मानव समस्या का हल है जो केवल कर्म प्रधान है भगवद गीता के दूसरे अध्याय के श्लोक 47 "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" जीवन का सार हमारा कार्य केवल कर्म करने का है उसके फल पर हमारा अधिकार ही नहीं है। फिर भी मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का गठन किया गया। मानव कर्तव्य आयोग (Nation human Duties Commission) नहीं बनाया गया।
मैं आज क्यूरियस था यह जानने के लिए ऐसा क्यों हुआ शायद संविधान की मंशा रही हो..। राइट्स के लिये जो महाभारत हुई वह महाभारत न हो, लेकिन हम फंडामेंटल्स को नहीं भूल सकते। हमारा जीवन कर्म प्रधान है। कर्म पहले है कर्तव्य ड्यूटीज़ पहले है, पहले जो कमीशन बनना चाहिए थे NHDC.. मानव के कर्तव्य क्या हैं ताकि राइट्स के लिये लड़ना ही न पड़े। यदि आप चाहते हैं कि हमे कानून का लाभ मिले, तो हमे कानून का पालन करना सीखना होगा।
यह कैसे संभव है कि हम पालन तो न करें लेकिन उसका लाभ लें, यही कारण है कि हमारे लोअर कोर्ट्स से लेकर हायर कोर्ट्स में 4.55 करोड़ केस पेंडिंग है यानी 4.55 करोड़ परिवार लगभग 25 करोड़ प्रभावित..। देश की 20% जनता कानूनी पचड़ों में और 20-25% जनता कही न कही बीमार या अस्पतालों में..। विकसित भारत बनाना है तो इससे बाहर निकलना होगा। मुझे लगता है गीता ज्ञान दिया जाता और एनएचडीसी मानवाधिकार आयोग नहीं मानव कर्तव्य आयोग बनाया जाता तो स्थिति कहीं बेहतर जो सकती थी।
लेखक- पूरन डावर, 
चिंतक एवं विश्लेषक
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