प्रदेश सरकार के अभियान से बैंड व्यवसायियों में खलबली
सरकार के अगले निशाने पर हो सकते हैं बैंड व डीजे संचालक
आगरा, एक मई। प्रदेश सरकार द्वारा पूरे राज्य में लाउडस्पीकर उतरवाने या उनकी आवाज कम कराने को लेकर चलाये जा रहे व्यापक अभियान को देखते हुए बैंड व्यवसाइयों में भी खलबली मच गई है। उत्तर प्रदेश बैंड बरात श्रृंगार वेलफेयर एसोसिएशन ने सभी बैंड व्यवसायियों को आगाह किया है कि सरकार का अगला कदम उनके खिलाफ हो सकता है, ऐसे में सभी बैंड व्यवसायी पुलिस-प्रशासन व प्रदूषण विभाग की गाइडलाइंस के हिसाब से कार्य शुरू कर दें।
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र कुमार धानक ने सभी जिला इकाइयों को भेजे पत्र में कहा है कि बैंड ट्रोली का कार्य सड़क पर कार्य होता है। सरकारी गाइडलाइंस के अनुसार, साउंड तथा बैंड की आवाज धीमी होनी चाहिए। सभी व्यवसायी सड़क पर ट्रैफिक जाम होने के वक्त तुरन्त अपने बैंड को एक लाइन में कर दें। रात दस बजे तक ही बरात की बुकिंग करें और समय पर छोड़ें। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं होगा तो एक लाख से दस लाख रुपये तक अर्थदण्ड और सजा अलग भुगतनी पड़ेगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की आज प्रकाशित टिप्पणी "सरकारें ही सबसे बड़ी मुकदमेबाज हैं" का हवाला देते हुए कहा कि सरकारों द्वारा कोर्ट का सहारा लेकर हमारे बैंड बजाने के रोजग़ार को बीच बाजार में दण्डित किया जायेगा। इससे बचने की जरूरत है।
शहर के प्रमुख मिलन बैंड के संचालक सुनील शर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष का पत्र सार्वजनिक करते हुए उनकी हिदायतों का समर्थन किया है। शर्मा ने सभी बैंड व्यवसायियों से आग्रह किया है कि वे अपनी बैन्ड ठेलियों का साउंड थोड़ा कम करके बजाएं। कोशिश करें कि बारात में एक तरफ रोड लाइट का प्रयोग करें। बैंड वादक भी एक तरफ ही चलें ताकि जाम न लगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार मंदिर व मस्जिदों से साउंड उतरवा रही है और कुछ मंदिर, मस्जिदों की साउंड बहुत कम करवा रही है, ऐसे में बैन्ड मालिकों पर भी किसी भी वक्त ये नौबत आ सकती है।
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