तो चुनाव लड़ने के लिए मान गए विनय मित्तल? कोर कमेटी की बैठक से पहले चुनाव समिति में बनी रजामंदी!! || चैंबर में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और तीन कार्यकारिणी ग्रुपों के लिए होगा मतदान
आगरा, 05 मार्च। नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स आगरा के वार्षिक चुनावों में बुधवार की सुबह नाम वापसी की समय सीमा खत्म होने के बाद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष के अलावा कार्यकारिणी के तीन ग्रुपों में चुनाव होना तय हो गया। मतदान दस मार्च को अग्रवन में प्रस्तावित है। दोपहर तीन बजे तक वोटिंग के बाद उसी दिन परिणामों की घोषणा कर दी जाएगी। इस बीच कोषाध्यक्ष पद पर मची रार भी थम सी गई है। अभी तक स्वयं को निर्विरोध विजयी घोषित किए जाने की मांग कर रहे विनय मित्तल ने चुनाव लड़ने के लिए व्हाट्सएप ग्रुपों पर प्रचार पुनः शुरू कर दिया।
नाम वापसी के बाद अध्यक्ष पद पर संजय गोयल (एडवांस), योगेश जिंदल और अनिल अग्रवाल चुनाव मैदान में हैं। उपाध्यक्ष पद पर संजय गोयल (आगरा स्टील), विवेक जैन, नीरज अग्रवाल और गोपाल खंडेलवाल मैदान में हैं। कोषाध्यक्ष पद पर संजय अग्रवाल (से-कैटरर्स) और विनय मित्तल के बीच मुकाबला होना है। इसके अलावा कार्यकारिणी के ग्रुप छह (ट्रेडर्स), ग्रुप दस (प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स) और ग्रुप 12 (सर्विस, प्रोफेशनल्स) में चुनाव होना तय हो गया है। ग्रुप छह से चार सदस्य चुने जाने हैं, लेकिन प्रत्याशी पांच हैं। ग्रुप दस से दो प्रत्याशी चुने जाने हैं, लेकिन प्रत्याशी तीन हैं। इसी प्रकार ग्रुप 12 से एक प्रत्याशी चुना जाना जबकि मैदान में दो प्रत्याशी हैं।
चुनाव समिति में बनी रजामंदी!!
इस बीच चुनाव समिति की एक बार फिर बुधवार को बैठक हुई। संजय प्लेस स्थित एक होटल में हुई इस बैठक में तय किया गया कि कोषाध्यक्ष पद पर विवाद की स्थिति खत्म करने के लिए दोनों प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने दिया जाए। इसके लिए अभी तक नानुकुर कर रहे प्रत्याशी विनय मित्तल को समिति के सदस्यों ने फोन करके चुनाव लड़ने के लिए कहा तो विनय मित्तल ने रात आठ बजे के आसपास चैंबर के मतदाताओं से अपने पक्ष में वोट करने की अपील शुरू कर दी।
बता दें कि इससे पहले विनय मित्तल ने कोर कमेटी में अपील कर दी थी और पुनः स्मरण पत्र भी भेजा था। उनके पत्र के बाद कोर कमेटी के अध्यक्ष प्रेम सागर अग्रवाल ने चैंबर अध्यक्ष और चुनाव समिति के अध्यक्ष को संदेश भेज कर कुछ और दस्तावेज मांग लिए थे। उन्होंने कोर कमेटी की बैठक गुरुवार छह मार्च को शाम पांच बजे आहूत भी की है।
माना जा रहा है कि चुनाव समिति की बुधवार की बैठक और विनय मित्तल के नरम पड़ने के बाद कोर कमेटी की बैठक औपचारिक होकर रह जाएगी। देखना होगा कि ऐसा ही होगा या फिर कोर कमेटी किसी अन्य नतीजे पर पहुंचेगी।
दबाव की राजनीति
दरअसल चैंबर चुनावों में दबाव की राजनीति काम कर रही है। इसी के तहत एक-दूसरे को शह और मात देने के प्रयास किए जा रहे हैं। पिछली दो बार से मतदाता सूची में शामिल रहे और कार्यकारिणी के सदस्य रह चुके संजय अग्रवाल के खिलाफ कुछ लोगों ने चुनाव समिति को पत्र दिलवाया और संजय का नामांकन पत्र खारिज करने के लिए दबाव बनाया। विनय मित्तल ने कोर कमेटी को लिखे पत्र में खुद स्वीकार किया कि उनकी शिकायत पर संजय अग्रवाल के नामांकन पत्र की जांच की गई थी। अगले दिन संजय अग्रवाल ने मजबूती से अपना पक्ष रखा। कहा तो यहां तक जा रहा है कि उनके कुछ समर्थकों ने चैंबर के पदाधिकारियों और पूर्व पदाधिकारियों से गहरी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने चैंबर की गलती बताते हुए पुनर्विचार के लिए दबाव बनाया।
चुनाव समिति ने संजय अग्रवाल के मामले में पुनर्विचार किया तो विनय मित्तल का समर्थन कर रहे लोग उखड़ गए। उनके एक समर्थक ने तो जिम्मेदारी से इस्तीफा देने की भी धमकी दे दी। चुनाव समिति अध्यक्ष जब धमकी के दबाव में नहीं आए तो उनके खिलाफ कोर कमेटी से शिकायत करा दी गई। इस पर चुनाव समिति के अध्यक्ष ने विनय मित्तल की सदस्यता वाली फाइल खंगाल डाली। इसमें उन्हें कुछ बड़ी खामियां मिली और उन्होंने उनके जवाब विनय से मांग लिए। उनका दावा है कि विनय मित्तल अभी तक मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। हालांकि विनय ने कहा कि कुछ दस्तावेज वे दिखा चुके हैं।
दबाव की राजनीति के तहत ही विनय मित्तल की ओर से अधिवक्ता के माध्यम से कानूनी नोटिस भी भेजा गया। लेकिन जब उनके एक प्रमुख पैरोकार को बताया गया कि विनय मित्तल बिना दस्तावेज दिए घाटे में रह सकते हैं तो नोटिस वापस लेने की बात शुरू हो गई। विनय की समर्थक लॉबी फिर सक्रिय हुई और इस बात पर सहमति बनवाने में सफल रही कि संजय अग्रवाल की तरह ही विनय मित्तल को भी पुरानी मतदाता सूचियों में नाम होने के आधार पर चुनाव लड़ने दिया जाए। विनय मित्तल भी परिस्थितियों को समझते हुए चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं।
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