भीख मांगने वाले हाथियों को मुक्त कराने का अभियान

आगरा, 29 जनवरी। वाइल्डलाइफ एसओएस संस्था ने हाथियों की रक्षा के लिए अभियान शुरू किया है, जिसमें वर्ष 2030 तक सभी भीख मांगने वाले हाथियों को बचाने का लक्ष्य रखा गया है।
संस्था का कहना है कि अक्सर अवैध रूप से और उचित कागजी कार्रवाई के बिना हाथियों को पैसा कमाने के उद्देश्य से देश की सड़कों पर चलने के लिए मजबूर किया जाता है। कुपोषित और दुर्बल इन हाथियों को और इनकी पीड़ा को अक्सर लोगों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है। आमतौर पर छोटे बच्चे के रूप में जंगल से पकड़ कर अपने झुंड से अलग कर दिए गए हाथियों को 'भीख मांगने वाले' हाथियों के रूप में जाना जाता है। बुद्धिमान और सामाजिक जानवर यह हाथी नेत्रहीन, एकान्त जीवन और गंभीर चोटों के साथ अपना जीवन जीते हैं। इन्हें करतब दिखाने, आशीर्वाद देने या सवारी कराने और समारोहों और त्योहारों में देखा जा सकता है।
वाइल्डलाइफ एसओएस को देश के पहले समर्पित हाथी अस्पताल के निर्माण के साथ-साथ 'नृत्य' भालू की सदियों पुरानी प्रथा को समाप्त करने के लिए जाना जाता है। 40 से अधिक हाथियों को बचाने के बाद, उनकी विशेषज्ञता अब देश में भीख माँगने वाले हाथियों की ओर निर्देशित है।
यू.एस.ए, वाइल्डलाइफ एसओएस के कार्यकारी निदेशक निक्की शार्प ने बताया कि संस्था का यह भीख मांगने वाले हाथियों की मदद के लिए चलाया गया अभियान पांच चरण में विभाजित है:
1. *रेस्क्यू* - हाथियों को सड़कों से हटाकर हमारे जैसे बचाव केंद्रों में ले जाना, जहां उनकी उचित देखभाल की जाएगी।
2. *आउटरीच* - वर्तमान में सड़कों पर मौजूद हाथियों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करना। हमारा मानना ​​है कि हाथियों को उनकी पीड़ा से राहत देने के लिए उनके बचाए जाने तक इंतजार नहीं करना चाहिए।
3. *रोकथाम* - कानून प्रवर्तन और अवैध शिकार विरोधी कार्यक्रमों का समर्थन करके और अधिक हाथियों को सड़कों पर आने से रोकना।
4. *शिक्षा* - इन हाथियों की पीड़ा के बारे में सामुदायिक जागरूकता पैदा करना और उनके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आवश्यकताओं के बारे में बताना।
5. *प्रशिक्षण* - हाथियों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए पशु चिकित्सकों को आधुनिक कौशल सिखाने पर ध्यान केंद्रित करना।
आम जनता वाइल्डलाइफ एसओएस की एलीफैंट हेल्पलाइन (+91 9971699727) पर भीख मांगते हाथी की सूचना देकर इसमें शामिल हो सकती है।
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