फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में पहुंचकर लिया संन्यास, किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनेंगी

नई दिल्ली, 24 जनवरी। हिन्दी फिल्मों की चर्चित अभिनेत्री रहीं ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचकर संन्यास लेने का बड़ा निर्णय ले लिया। उन्होंने किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने के लिए संन्यास की दीक्षा ली। अब ममता कुलकर्णी को 'श्री यामाई ममता नंद गिरी' के नाम से जाना जाएगा। संन्यासी जीवन को अपनाते हुए ममता ने भगवा वस्त्र धारण किए हैं। अब उन्हें किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी। 
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, हाल में ही स्वदेश लौटीं ममता प्रयागराज में महाकुंभ में शामिल हुईं और  संन्यास लेने का फैसला किया। शाम को प्रयागराज में ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक किया जा रहा है। इसके बाद उन्हें नए नाम से जाना जाएगा। उन्हें किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी। उन्हें ये पदवी चादरपोशी की रस्म अदा करने के बाद दी जाएगी। ममता ने संगम किनारे अपने हाथों से अपना पिंडदान किया। ममता फिलहाल किन्नर अखाड़े में ही रुकी हुई हैं और उन्होंने संन्यास लेने के बाद भगवा वस्त्र भी धारण कर लिए हैं। उन्हें जूना अखाड़े के आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने दीक्षा दी।
53 वर्षीया ममता शुक्रवार की सुबह ही महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा पहुंची थीं। उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक महामंडलेश्वर बनने को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद किन्नर अखाड़े ने उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी देने का ऐलान किया। इसके बाद महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ममता को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा संघ के अध्यक्ष रविंद्र पुरी के पास पहुंचीं। ममता और पुरी के बीच काफी देर तक बातचीत हुई। इस दौरान किन्नर अखाड़े के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। फिर उनके महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। 
ममता साध्वी के रूप में महाकुंभ में शामिल हुईं। वह भगवा कपड़े पहनी दिखीं। उन्होंने गले में रुद्राक्ष की दो बड़ी माला पहन रखी थी। कंधे पर भगवा झोला भी टांग रखा था।
सिल्वर स्क्रीन से महामंडलेश्वर तक का सफर
वर्ष 1992 की सुपरहिट फिल्म तिरंगा से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाली ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड की करीब 40 फिल्मों में काम किया है। उन्होंने आशिक आवारा, करण अर्जुन, वक्त हमारा है और क्रांतिवीर जैसी बड़ी फिल्मों में अपनी अदायगी से अपने फैंस के दिलों में राज करना शुरू कर दिया था। साल 2001 में आई छुपा रुस्तम उनकी आखिरी हिट फिल्म रही है। इसके बाद उनकी वर्ष 2002 में आई कभी हम कभी तुम फिल्म से उन्होंने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया और केन्या चली गईं। ममता ने हिंदी के अलावा, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बांग्ला और मलयालम फिल्मों में भी काम किया है। ममता कुलकर्णी 24 साल बाद स्वदेश लौटी हैं। इतने सालों तक एक्ट्रेस कहां रहीं, इस सवाल पर उन्होंने कहा था, 'मेरे भारत से जाने की वजह अध्यात्म थी। वर्ष 1996 में अध्यात्म की तरफ झुकाव हुआ और उसी दौरान मेरी मुलाकात गुरु गगन गिरी महाराज से हुई। उनके आने के बाद मेरे मन में अध्यात्म को लेकर रुचि बढ़ी। इसी के बाद मेरी तपस्या शुरू हो गई।'
अभिनेत्री ने अपनी पिछली जिंदगी के बारे में भी बताया, ''मैं मानती हूं कि बॉलीवुड ने मुझे नाम और शोहरत दी। इसके बाद बॉलीवुड का भी साथ छूट गया। साल 2000 से 2012 तक मैं तपस्या करती रही। मैं कई सालों तक दुबई में थी और दो बेडरूम के हॉल में रहती थी और 12 सालों तक ब्रह्मचारी रही।'
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