एचआईवी मरीजों में टीबी का खतरा अधिक! जागरूकता बढ़ाने को रैली निकालेगा स्वास्थ्य विभाग

आगरा, 01 दिसम्बर। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से दो दिसंबर को सुबह साढ़े दस बजे रैली का आयोजन किया जाएगा। इसके पश्चात गोष्ठी होगी, साथ ही हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। एसएन मेडिकल कॉलेज में लोगों को जागरूक करने और एचआईवी,एड्स  की जांच करने के लिए शिविर आयोजित किया जाएगा। 
यह जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि विश्व एड्स दिवस प्रत्येक वर्ष एक दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिवस एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) के बारे में जागरूकता फैलाने और एड्स पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति और समर्थन प्रदर्शित करने के लिए मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाना, एड्स पीड़ित लोगों के अधिकारों की रक्षा करना और एड्स के खिलाफ लड़ने के लिए वैश्विक प्रयासों को मजबूत करना है।
सीएमओ ने बताया कि प्रत्येक एचआईवी मरीज को छह माह तक टीबी से बचाव की दवा खाना अनिवार्य है। यह इसलिए है क्योंकि एचआईवी से पीड़ित लोगों में टीबी होने का खतरा अधिक होता है। टीबी एक गंभीर संक्रमण है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है और अगर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह जानलेवा हो सकता है। एचआईवी से पीड़ित लोगों में टीबी का खतरा अधिक होने के कई कारण हैं। एक कारण यह है कि एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है, जिससे शरीर टीबी जैसे संक्रमणों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। इसके अलावा, एचआईवी से पीड़ित लोगों में टीबी के लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं और इसका इलाज अधिक कठिन हो सकता है। इसलिए, एचआईवी से पीड़ित लोगों को टीबी से बचाव की दवा खाना अनिवार्य है। यह दवा टीबी के संक्रमण को रोकने में मदद करती है और एचआईवी से पीड़ित लोगों को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
जिला क्षय रोग व एड्स नियंत्रण अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष 442 एचआईवी मरीजों को टीबी से बचाव की दवा खिलाई गई। जिन टीबी मरीजों को एचआईवी भी है, उनके टीबी का इलाज पूरा होने के बाद उन्हें भी छह माह तक टीबी से बचाव की दवा खिलाते हैं। लेकिन अगर ऐसे मरीज ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीज हैं तो उन्हें बचाव की दवा नहीं खिलाई जाती है।
डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि इस समय जनपद में एचआईवी के 5149 सक्रिय मरीज हैं। इस वित्तीय वर्ष में 420 नये एचआईवी मरीज पंजीकृत किये गये। इलाज के दौरान 13 एचआईवी मरीजों की मौत भी हुई है। इस वित्तीय वर्ष 27181 टीबी मरीज खोजे गए सभी की एचआईवी की जांच कराई गई जिस में से ऐसे 88 एचआईवी मरीज पंजीकृत किये गये हैं जिनमें टीबी की भी बीमारी निकली है। इन मरीजों को दोनों प्रकार की दवाएं साथ- साथ खिलाई जा रही हैं।
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