यूपीसीडा के पत्र से उद्यमियों में भारी नाराजगी, अल्प समय में मांगी कई जानकारी, भ्रष्टाचार को बढ़ावे का आरोप

आगरा, 30 अप्रैल। भाजपा सरकार की कथनी और करनी में अंतर से उद्यमियों में भारी नाराजगी है। उनका मानना है कि एक ओर सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की बात करती है, दूसरी ओर उसके ही नौकरशाह उद्यमियों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ताजा मामले में उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डवलपमेंट प्राधिकरण (UPSIDA) के एक आदेश ने जिले के उद्यमियों में खलबली मचा दी है। 
उद्यमियों का कहना है कि यूपीसीडा उनका उत्पीड़न कर रहा है और जो रिकार्ड खुद विभाग को संभाल कर रखना चाहिए, उसकी जानकारी उद्यमियों से मांगी जा रही है वह भी अल्प समय के भीतर। इसका नतीजा है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले मध्यस्थ सक्रिय हो गए हैं और उद्यमियों का शोषण किया जा रहा है।
क्या है मामला?
यूपीसीडा ने अपने आवंटियों को पत्र भेजकर भूखंड से संबंधित अलॉटमेंट के समय से वर्तमान तक की जानकारियां यूपीसीडा अथवा निवेश मित्र के पोर्टल पर अपलोड करने के लिए निर्देशित किया है। इनमें 10-15 साल से लेकर के 50-60 साल पुरानी तक जानकारियां पोर्टल पर देनी होंगी। उद्यमियों को जानकारी देने के तरीके का ज्ञान नहीं है और न ही विभाग ने कभी ज्ञान देने का प्रयास किया। 
अल्प समय देख भ्रष्टाचारी हुए सक्रिय 
उद्यमियों की नाराजगी का कारण है कि यूपीसीडा के क्षेत्रीय कार्यालय ने दो पेज का फॉर्मेट व्यक्तिगत डाक द्वारा तीन दिन के अंदर जवाब मांगते हुए वितरित किया। इसके साथ ही विगत तीस मार्च को स्पीड पोस्ट से एक पत्र और भेजा गया और तीस दिन के अंदर जानकारियां यूपीसीडा अथवा निवेश मित्र के पोर्टल पर अपलोड करने को कहा गया। शिकायत है कि यह पत्र मियाद खत्म होने से लगभग चार-पांच दिन पूर्व उद्यमियों को प्राप्त हुआ। विभाग अंतिम तिथि से 20-25 दिन पूर्व तक इस पत्र को अपने पास रोके रहा और उद्यमियों को तीन-चार दिन का ही समय दिया गया। उद्यमियों को अपलोड के तरीके की जानकारी के अभाव में भ्रष्टाचार करने वाले मध्यस्थ सक्रिय हो गए हैं।
80% छोटे उद्यमी ऐसे हैं जिनके पास ऑफिस स्टाफ के नाम पर एक फुल टाइम क्लर्क भी नहीं हैं, जिनके पास हैं वह ज्यादातर स्थितियों में केवल उत्पादन, खरीद एवं बिक्री से संबंधित रिकॉर्ड रखते हैं, उनकी फाइलिंग करते हैं। अन्य प्रकार के जरूरी या गैर जरूरी कागजात को उद्यमी स्वयं अपने स्तर पर रखता है, जिसकी कोई निश्चित पद्धति नहीं रहती ऐसे में पुराने अभिलेखों को एकत्रित करने के लिए उस को समय देना अनिवार्य है। दूसरी तरफ विभाग स्थानीय स्तर पर और मुख्यालय स्तर पर पूरे रिकॉर्ड रखता है और उसके लिए समुचित वेतन भोगी स्टाफ भी रखता है। 
मयूर माहेश्वरी को लिखा कड़ा पत्र
सिकंदरा फैक्ट्री ओनर्स एसोसियेशन ने यूपीसीडा के इस कदम का विरोध करते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी मयूर माहेश्वरी को कड़ा पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि विभाग अपने हिस्से काम उद्यमियों पर थोप रहा है और वह भी अत्यंत अल्प समय देकर। ऐसी स्थिति उद्यमी का उत्पीड़न करने जैसी है। विभाग द्वारा मांगी गई सूचनाओं में से ज्यादातर सूचनाएं उद्यमियों द्वारा पूर्व में ही समय-समय पर विभाग को उपलब्ध कराई जाती रही हैं।
क्या है आंकड़ों को मांगने का उद्देश्य?
जानकारी में आया है कि इन आंकड़ों को मांगने का उद्देश्य ऐसे भूखंडों को इंगित करना है, जिन पर कभी उत्पादन नहीं हुआ और निर्धारित अधिकतम समय बीत जाने के बाद भी रिक्त हैं। सूत्रों का दावा है कि विभाग वर्तमान सर्किल दरों के आधार पर वसूली की योजना बना रहा है। जिससे उद्यमियों पर वित्तीय बोझ बढ़ने की संभावना है। इस कारण भी उद्यमियों में बेचैनी है।
विभाग समय बढ़ाए, उद्यमियों को प्रशिक्षित करे
सिकंदरा फैक्ट्री ओनर्स एसोसियेशन के अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल का कहना है कि किन-किन भूखंडों पर कौन कौन से उत्पाद से सम्बंधित इकाई कार्यरत है इसके आंकड़े पूर्व से ही विभाग के पास उपलब्ध हैं। उन में से कुछ आंकड़े पूर्व में विभाग अपनी वेव साईट पर व अन्य साधनों से प्रकाशित कर चुका है। ऐसे में विभाग अपने पास उपलब्ध आंकड़ों की पुष्टि करने के स्थान पर सभी आंकड़े उद्यमी से मांगना गलत है। अग्रवाल ने कहा कि पहले तो विभाग को समयावधि बढ़ानी चाहिए और ऑनलाइन फाइलिंग के लिए विभागीय व्यक्तियों के साथ में उद्यमियों को पावर पॉइंट प्रजेंटेशन द्वारा शिक्षित किया जाना चाहिए।
_________________________________________

ख़बर शेयर करें :

Post a Comment

0 Comments